कृत्रिम निषेचन के लिए अंतःपात्र में गुणन कराया था।
अन्य पुरुषों को पैदा होने तथा उसके बाद मर जाने से बचाने के लिए वे आनुवांशिक रूप से केवल नारी भ्रूण की रचना करते थे। वे हार स्वीकार करने के इच्छुक नहीं थे। वे उसी जीन में अपना वह डीएनए ढूंढते थे, जो उन्हें जीवित रहने में सहायता करता था, और इसे पुरुष डीएनए में आरोपित कर देते थे। इस प्रकार यह नई वातावरणीय विशिष्टताओं को सहन करने के योग्य हो जाता था।
“तुम ने मुझे बताया नहीं, तुम कैसे जानते हो कि हम कौन हैं?” यूलिका ने आग्रह किया।
“क्योंकि मैं कई चीज़ें देखता हूँ। मैं काफी समय से तुम्हारे प्रश्नों की प्रतीक्षा कर रहा था।”
“कौन से प्रश्न?” जैम ने पूछा, जो भ्रांत दिख रहा था, क्योंकि वह अपनी घनी काली घुँघराली दाढ़ी पर हाथ फेर रहा था।
“किरवीर के बारे में तुम्हारे प्रश्न।” यूलिका ने अनुमान लगाया। “तुम पहले किस बारे में बात कर रहे थे?” उसने साधु से पूछा। “तुम क्या देख सकते थे?”
“जो कुछ भी ग्रहों पर हो रहा है, मैं वह सब देख सकता हूँ, लेकिन दुर्भाग्य से कभी कभी यह सूचनाएँ मुझ में बहुत कम समय तक रहती हैं।”
“कम समय का मतलब समझाओ।”
“यह निर्भर करता है। कभी कभी वे हमेशा के लिए रह जाती हैं, कुछ, एक दिन में भूल जाती हैं, और कुछ, घंटों में।”
“तुम हमें किरवीर के बारे में क्या बता सकते हो?” जैम ने पूछा।
“किरवीर सब कुछ है: यह हमें घेरे हुए है, यह हमें एक साथ रखता है और हमें दूर करता है। यदि यह चालू हो जाए, यह किसी दूसरी चीज में बदल जाता है। ऐसा लगता है कि इसे काबू में किया जा सकता है, लेकिन सच्चाई तो यह है कि यह हाथ नहीं आता। यह बुद्धिमान और बहुत ही खतरनाक हो सकता है।”
“तुम हमें कुछ भी नया नहीं बता रहे हो।” यूलिका ने टिप्पणी की।
“नया कुछ है भी नहीं जानने के लिए। हर चीज़ हमें पहले से ही घेरे हुए है।” साधु ने जवाब दिया, “तुम बस यही कर सकते