ओर मुड़े।
“एक ही जगह से तीन लड़के,” उसने अपनी ठोड़ी पर उगी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए ने कहा। “यह अच्छी बात है। तुम सब की बनावट अच्छी हैं। प्रयोग नहीं किया है फिर भी। खरे उतरने के लिए तुम लोगों को और प्रशिक्षण की जरूरत होगी।”
वह रुक गया।
“मुझे लगता है इन सब के लिए जगह होगी।”
उसने वैगन के पीछे की ओर इशारा किया।
“अंदर आ जाओ, ओर जल्दी करो। इससे पहले मैं अपना मन बदल दूं।”
थोर के तीनों भाई मुस्कुराते हुए गाडी की ओर लपके। थोर ने अपने पिता को भी मुस्कुराते देखा।
उन्हें जाते देख वो बहुत हताश था।
सैनिक मुड़े और दुसरे घर की ओर बढ़ गए। थोर अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
“सर!” थोर जोर से चिल्लाया।
उसके पिता ने मुड कर उसे घूरा, लेकिन थोर को अब कोई परवाह नहीं थी।
सिपाही रुका, उसकी पीठ थोर की ओर थी, और वह धीरे से मुड़ा।
थोर ने दो कदम आगे बढ़ाया, उसका दिल धड़क रहा था, और उसने अपना सीना जितना हो सके चौड़ा कर लिया।
“साहब, आपने मुझे तो देखा ही नहीं।” उसने कहा।
सैनिक चौंक गया, उसने थोर को ऊपर से नीचे देखा जैसे कि वो कोई मजाक हो।
“अच्छा मैंने नहीं देखा?” उसने कहा और जोर से हँसने लगा।
उसके आदमी भी हँसने लगे। लेकिन थोर ने कोई परवाह नहीं की। यह पल उसका था। अभी या फिर कभी नहीं।
“मैं सेना में शामिल होना चाहता हूँ!” थोर ने कहा।
सैनिक थोर की ओर बढ़ा।
“तो तुम अभी शामिल होना चाहते हो?”
वह खुश लग रहा था।
“और क्या तुम चौदह साल के हो भी?”
“जी सर। दो हफ्ते पहले ही हुआ हूँ।”
“दो हफ्ते पहले!”
सिपाही जोरों से हँसने लगा, उसके पीछे बाकी पुरुष भी हँसने लगे।
“अच्छा, तो तुम्हें देखते ही हमारे दुश्मन तो कांप जायेंगें”
थोर अपने अपमान से जलने लगा। उसे कुछ तो करना था। वो इसे यूं ही ख़त्म नहीं होने दे सकता था। सिपाही वापिस जाने के लिए