सोचा भी नहीं था कि अपने गाँव के बाहर भी उसे कोई जानता है।
“आप.... यह कैसे जानते हैं?”
आर्गन जवाब दिए बिना ही मुस्कुरा दिया।
अब अचानक थोर की उत्सुकता बढ़ गयी थी।
“कैसे....” थोर ने हिचकिचाते हुए ने कहा, “...आप मेरी माँ को कैसे जानते हैं? क्या आप उनसे मिले हैं? वो कौन थी?”
आर्गन मुड़े और वहां से चल दिए।
“प्रश्नों को किसी ओर समय के लिए छोड़ दो” उन्होंने कहा।
थोर ने हैरानी से उन्हें जाते हुए देखा। यह एक चकरा देने वाला और रहस्यमयी मुलाक़ात थी, और यह सब बहुत तेज़ी से हो रहा था। उसने निश्चय किया कि वो उन्हें यूं ही नहीं जाने देगा; वह जल्दबाजी में उनके पीछे चल पड़ा।
“आप यहाँ क्या कर रहे हैं?” बात को आगे बढाते हुए थोर ने पुछा। आर्गन अपनी हाथी दांत से बनी छड़ी का उपयोग करते हुए भ्रामक रूप से तेज चलने लगे। “आप मेरा इंतज़ार तो नहीं कर रहे थे, क्यों हैं न?”
“तो फिर किसका?” आर्गन ने पुछा।
उनके पीछे–पीछे थोर तेज़ी से जंगल के अन्दर की ओर चला गया। “लेकिन मेरा ही क्यों?” आपको कैसे पता, मैं यहाँ आऊँगा? आपको आखिर क्या चाहिए?”
“इतने सारे सवाल, आर्गन ने कहा। “तुम्हें पहले सुन लेना चाहिए।”
थोर चुप रहने का प्रयत्न करते हुए घने जंगल में उनके पीछे चल दिया।
“तुम अपने भेड़ को ढूँढने आये हो,” आर्गन ने कहा। “यह एक अच्छा प्रयास है, लेकिन तुम अपना वक़्त बर्बाद कर रहे हो। वो जिन्दा नहीं होगी।”
थोर की आँखें फटी रह गयी।
“आप यह कैसे जानते हैं”
“लड़के, मैं दुनिया के बारे में ऐसी बातें जानता हूँ जो तुम कभी नहीं जान पाओगे। कम से कम अभी तक तो नहीं।”
थोर को उनसे कदम मिलाते हुए ताज्जुब हो रहा था।
“हालांकि, तुम सुनोगे नहीं। यह तुम्हारी प्रकृति है। बिलकुल जिद्दी। अपनी माँ की तरह। तुम तो बस दृढ निश्चय के साथ अपनी भेड़ को बचाने उसके पीछे जाओगे ही।”
आर्गन ने उसकी सोच को पढ़ लिया था तो थोर का चेहरा लाल