वो आगे को बढ़ रहा था, थोर को एक सशक्त पूर्वाभास का अनुभव हुआ, मानो कुछ महान कार्य घटित होने वाला हो।
जब उसने मुड़ के देखा तो सामने का नज़ारा देख कर वहीँ जड़वत हो गया। अब तक के सारे दू:स्वप्न जैसे सच हो गए थे। उसके रोंगटे खड़े हो गए थे, उसे अब एहसास हो गया था की जंगल के इतने भीतर आ कर उसने बहुत बड़ी गलती कर दी थी।
उसके सामने बस तीस कदम की दूरी पर सीबोल्ड था। वह काफी मजबूत था, देखने में एक घोड़े के बराबर था, पूरे जंगल में इसे सबसे खतरनाक माना जाता है, शायद पूरे राज्यभर में। उसने इसकी कथाएँ तो सुन रखी थी लेकिन असली में कभी देखा नहीं था। यह तो देखने में एक शेर जैसा था, लेकिन उससे भी बड़ा, चौड़ा, इसकी चमड़ी चमकीली लाल और आँखें पीली और प्रकाशमान थी। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि उसे उसका लाल रंग मासूम बच्चों के खून से मिला है।
थोर ने ऐसे जानवर की कथाएँ तो सुन रखी थी, और ये सब बातें भी सच हो जरूरी नहीं था। वो शायद इसीलिए था क्योंकि इसके साथ मुठ्भेड के बाद कभी कोई जिन्दा बचा ही नहीं हो। कुछ तो सीबोल्ड को जंगल का भगवान् मानते थे, और एक संकेत भी। यह संकेत भला क्या हो सकता था। थोर को इसका कोई अनुमान नहीं था।
वह सावधानी से पीछे हट गया।
सीबोल्ड का जबड़ा आधा खुला हुआ था, जहरीले दांत से लार गिर रही थी, और वह अपनी पीली आँखों से उसे घूर रहा था। गायब हुई भेड़ उसके मुँह में थी: वो उसके मुंह में उल्टा लटकी हुई थी, मिमियाते हुए उसके आधे शरीर पर उसके दांत गढ़े हुए थे। वो तो बस जैसे मर गया था। ऐसा लग रहा था जैसे सीबोल्ड को अपने शिकार को मारते हुए मज़ा आ रहा था, वो भी धीरे-धीरे।
थोर को अपनी भेड़ का मिमियाना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। भेड़ कराह रही थी, असहाय सी और इसके लिए अपने आप को जिम्मेदार मान रहा था।
थोर को लग रहा था कि उसे तो बस वहां से भागना चाहिए, लेकिन वो जानता था कि यह प्रयास बेकार होगा। यह जानवर तो किसी को भी भागने में पछाड़ सकता था। भागने से तो वो और भी उद्दंड हो जाएगा। और वो अपने भेड़